वीर अब्दुल हमीद विद्यालय का नाम बदला तो कांग्रेस का विरोध
गाजीपुर – उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर स्थित परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद विद्यालय का नाम बदलकर पीएमश्री कंपोजिट विद्यालय करने पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस के वाराणसी महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने इसे शहीदों का अपमान करार दिया है।
राघवेंद्र चौबे ने कहा कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में सात पाकिस्तानी पैटन टैंकों को ध्वस्त करने वाले वीर अब्दुल हमीद का नाम हटाया जाना दुखद है। उन्होंने बताया कि वीर अब्दुल हमीद इसी विद्यालय के छात्र थे और आज भी विद्यालय के रजिस्टर में उनका नाम दर्ज है।
चौबे ने कहा कि प्रदेश और केंद्र सरकार लगातार शहीदों और महापुरुषों के नाम बदलने का कार्य कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले लौह पुरुष सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदला गया, फिर वाराणसी में संपूर्णानंद स्टेडियम का नाम बदलने का प्रयास हुआ, जिसे कांग्रेस ने रोका। अब वीर अब्दुल हमीद विद्यालय का नाम बदला गया है।
उन्होंने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि यदि नाम परिवर्तन वापस नहीं लिया गया, तो कांग्रेस पूरे पूर्वांचल में विरोध प्रदर्शन करेगी।
परिवार का विरोध
धामूपुर गांव के निवासी और वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम ने कहा कि गांव के विद्यालय का नामकरण शहीद वीर अब्दुल हमीद के नाम पर किया गया था, लेकिन अब इसे बदल दिया गया है। उन्होंने इसे शहीद का अपमान बताया और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) हेमंत राव से फोन पर शिकायत की।
बीएसए हेमंत राव ने बताया कि प्रधानाध्यापक के अनुसार, अभिलेखों में कभी भी विद्यालय का नाम शहीद वीर अब्दुल हमीद के नाम पर दर्ज नहीं था। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2019 से विद्यालय कंपोजिट विद्यालय धामूपुर के नाम से चल रहा है और वह इसकी जांच करेंगे।
कौन हैं वीर अब्दुल हमीद? क्या आप जानते हैं?
वीर अब्दुल हमीद भारतीय सेना के महान योद्धा और परमवीर चक्र विजेता थे, जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने अद्भुत साहस और वीरता से इतिहास रच दिया। उन्होंने पाकिस्तान के अजेय समझे जाने वाले पैटन टैंकों को नष्ट कर भारतीय सेना को विजय दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके इस बलिदान के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से नवाजा गया।
- जन्म: 1 जुलाई 1933
- जन्म स्थान: धामूपुर, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
- पिता: मोहम्मद उस्मान
- माता: सकीना बेगम
- पत्नी: रसूलन बीबी
- धर्म: इस्लाम
1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गाँव में जन्मे अब्दुल हमीद का बचपन एक साधारण किसान परिवार में बीता। कम पढ़ाई के बावजूद उन्होंने देश सेवा को अपना लक्ष्य बनाया और 1954 में भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में भर्ती हुए। अपनी निशानेबाजी और बहादुरी के कारण वे जल्द ही सेना में खास पहचान बनाने लगे।
असल उत्तर की लड़ाई और वीरता की गाथा
8 से 10 सितंबर 1965 को असल उत्तर के युद्ध में पाकिस्तान ने अमेरिका निर्मित M-48 पैटन टैंकों के साथ हमला किया। पाकिस्तानी सेना को भरोसा था कि ये टैंक भारतीय सेना को हरा देंगे, लेकिन अब्दुल हमीद ने अपनी जीप पर लगी रिकॉइललेस गन से 7 टैंकों को ध्वस्त कर दिया। जब वे 8वें टैंक को नष्ट करने जा रहे थे, तभी दुश्मन के गोले ने उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया और वे शहीद हो गए।
अब्दुल हमीद की विरासत और सम्मान
- उन्हें परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।
- उनके गाँव धामूपुर में उनकी याद में स्मारक बनाया गया।
- भारतीय सेना और विभिन्न संस्थानों में उनके नाम पर विद्यालय, सड़कें और स्टेडियम बनाए गए हैं।
वीर अब्दुल हमीद ने अपने पराक्रम से यह साबित कर दिया था कि सच्चा योद्धा किसी भी परिस्थिति में अपने देश की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं हटता। उनकी वीरता आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई है।….. यह भी पढ़े : नए Chief Election Commissioner की नियुक्ति पर 17 फरवरी को बैठक, राहुल गांधी होंगे शामिल – कौन संभालेगा चुनाव आयोग की कमान?