कुशीनगर मदनी मस्जिद पर बुलडोजर चलाए जाने का मामला हाल के दिनों में चर्चा में रहा है। यह घटना 9 फरवरी 2025 को हुई, जब उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में प्रशासन ने मदनी मस्जिद के एक हिस्से को ढहा दिया। इस कार्रवाई का मुख्य कारण यह बताया गया कि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर बना था और इसके निर्माण का नक्शा पास नहीं कराया गया था।
पिछले साल 18 दिसंबर 2024 से इस मामले की जांच शुरू हुई थी। प्रशासन का कहना था कि मस्जिद के पक्षकारों को जवाब देने का मौका दिया गया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद 8 फरवरी 2025 को हाई कोर्ट का स्टे खत्म हुआ, जिसके अगले ही दिन बुलडोजर कार्रवाई की गई। इस दौरान 9 बुलडोजरों का इस्तेमाल किया गया और मस्जिद के 11 पिलर तोड़े गए। दावा किया गया कि यह कार्रवाई अवैध निर्माण को हटाने के लिए थी।
हालांकि, इस घटना ने विवाद को जन्म दिया। कई लोगों का आरोप है कि बिना नोटिस दिए यह कार्रवाई की गई, जिससे मस्जिद के अंदर की चीजें, जैसे कुरान और अन्य किताबें, मलबे में दब गईं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सवाल उठाए और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि मस्जिद को क्यों तोड़ा गया, खासकर तब जब 13 नवंबर 2024 को कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाइयों पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या इसे अवमानना का मामला माना जाए।
इस पूरे मामले में दो पक्ष उभरकर सामने आए हैं। एक तरफ प्रशासन इसे नियमों के तहत की गई कार्रवाई बता रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन मानने वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं। यह मामला अभी कोर्ट में है, और आगे की सुनवाई से ही स्पष्ट होगा कि इसमें कौन सही है।
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कुशीनगर मदनी मस्जिद पर बुलडोजर क्यों चलाया गया?

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