br gavai भारत के सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने औपचारिक रूप से अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की है। यह सिफारिश केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेज दी गई है, जिससे यह लगभग तय हो गया है कि 14 मई 2025 से जस्टिस गवई देश के नए CJI होंगे।
मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई तक
भारत की न्यायपालिका की परंपरा के अनुसार, वर्तमान CJI ही अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हैं, लेकिन ऐसा तभी होता है जब उन्हें कानून मंत्रालय की ओर से यह आग्रह प्राप्त होता है। मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो रहा है। वरिष्ठता क्रम में जस्टिस गवई का नाम उनके बाद आता है, इसी वजह से उनका नाम आगे बढ़ाया गया है।
केवल 7 महीने का होगा कार्यकाल
अगर सब कुछ तय प्रक्रिया के अनुसार हुआ, तो जस्टिस गवई 14 मई 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभालेंगे। लेकिन उनका कार्यकाल महज सात महीने का होगा क्योंकि 23 नवंबर 2025 को वे रिटायर हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति और करियर की शुरुआत
जस्टिस बी.आर. गवई का फुल नाम Bhushan Ramkrishna Gavai ने 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, उनका रिटायरमेंट 23 नवंबर 2025 को निर्धारित है। जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की थी और 1987 से बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की।
इससे पहले वे बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और पूर्व एडवोकेट जनरल स्वर्गीय राजा एस. भोंसले के साथ काम कर चुके हैं। 1987 से 1990 तक वे बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत करते रहे। इसके बाद अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त पब्लिक प्रॉसीक्यूटर रहे।
14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया और फिर 12 नवंबर 2005 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया।
देश के दूसरे दलित CJI होंगे
जस्टिस गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन 2007 में देश के पहले दलित CJI बने थे।
डिमॉनेटाइजेशन और चुनावी बॉन्ड व 5 ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इनमें सबसे प्रमुख है – साल 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू की गई नोटबंदी को संवैधानिक रूप से वैध ठहराना। इसके अलावा, हाल ही में उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाले फैसले में भी भाग लिया।
उनके उल्लेखनीय निर्णय:
1. 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक ठहराया, पारदर्शिता बढ़ाई।
2. अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण को मंजूरी दी, आरक्षण नीति को प्रभावित किया।
3. असंवैधानिक संपत्ति विध्वंस के खिलाफ फैसला, व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा की।
4. मनीष सिसोदिया को जमानत दी, शीघ्र सुनवाई के अधिकार पर जोर।
5. 2016 की नोटबंदी को बरकरार रखा, आर्थिक नीति पर प्रभाव।
गुजरात सम्मेलन में दिए अहम बयान
जस्टिस गवई ने 19 अक्टूबर 2024 को गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित न्यायिक अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में न्यायपालिका की भूमिका और उसके प्रति जनता के विश्वास पर विस्तार से बात की थी। उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका की निष्पक्षता ही उसका सबसे बड़ा स्तंभ है। अगर यह कमजोर पड़ता है तो जनता का भरोसा उठ जाएगा और वे भीड़तंत्र या गैरकानूनी तरीके से न्याय पाने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा था कि किसी जज का किसी राजनेता या नौकरशाह की खुले तौर पर तारीफ करना या चुनाव में खड़े होने के लिए इस्तीफा देना, न्यायपालिका की निष्पक्षता को लेकर जनता की धारणा को प्रभावित कर सकता है। जस्टिस गवई का यह बयान न्यायिक नैतिकता और पारदर्शिता की आवश्यकता को दर्शाता है।
सार्वजनिक बयान और न्यायिक दृष्टिकोण
19 अक्टूबर 2024 को जस्टिस गवई ने गुजरात के अहमदाबाद में न्यायिक अधिकारियों के सम्मेलन में कहा था कि:
“यदि लोगों का न्यायपालिका पर से विश्वास उठ गया, तो वे भीड़ के न्याय का सहारा लेने लगेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा था कि:
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जजों को पद पर रहते हुए किसी राजनेता या नौकरशाह की सार्वजनिक प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।
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न्यायपालिका में जनता का भरोसा बनाए रखना सबसे ज़रूरी है।
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अगर न्याय प्रणाली निष्पक्ष नहीं दिखेगी, तो आम लोग सिस्टम के बाहर समाधान तलाशने लगेंगे, जिससे समाज में अराजकता फैल सकती है।
अगला CJI बनने की संभावना किसकी?
जस्टिस गवई के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस सूर्यकांत का नाम आता है। अनुमान है कि जस्टिस सूर्यकांत को 53वां चीफ जस्टिस बनाया जा सकता है। वरिष्ठता के आधार पर ही भारत में मुख्य न्यायाधीश का चयन परंपरा के रूप में होता है।
जस्टिस बी.आर. गवई: प्रोफाइल, परिवार
मुख्य तथ्य:
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पूरा नाम: भुषण रामकृष्ण गवई (Bhushan Ramkrishna Gavai)
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जन्म: 24 नवम्बर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र
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पद: भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India), 14 मई 2025 से कार्यभार ग्रहण करेंगे
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कार्यकाल: 23 नवम्बर 2025 तक (सेवानिवृत्ति तक)
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पहचान: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, संविधान और प्रशासनिक कानून के विशेषज्ञ, सुप्रीम कोर्ट के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश
शैक्षणिक और पेशेवर यात्रा
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शिक्षा: बी.ए., एलएल.बी. (Nagpur University)
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वकालत की शुरुआत: 16 मार्च 1985 को बार में नामांकन किया
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प्रारंभिक अभ्यास: राजा एस. भोंसले (पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज) के साथ काम किया.
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स्वतंत्र प्रैक्टिस: 1987-1990, बॉम्बे हाईकोर्ट; बाद में नागपुर बेंच में मुख्य रूप से संविधान और प्रशासनिक कानून में अभ्यास.
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सरकारी पद: असिस्टेंट गवर्नमेंट प्लीडर, एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर (1992-93), गवर्नमेंट प्लीडर और पब्लिक प्रॉसीक्यूटर (2000).
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न्यायिक पद: 14 नवंबर 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज, 12 नवंबर 2005 में स्थायी जज.
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सुप्रीम कोर्ट जज: 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
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696 फैसले लिखे, जिनमें 46% आपराधिक मामले हैं।
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अन्य जानकारी :
जस्टिस गवई ने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम, अमरावती विश्वविद्यालय, और विभिन्न स्वायत्त निकायों (जैसे SICOM, DCVL) के लिए स्थायी वकील के रूप में काम किया।
पारिवारिक पृष्ठभूमि (Family Tree)
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पिता: आर.एस. गवई (रामकृष्ण सखाराम गवई) – रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) के नेता, पूर्व सांसद, बिहार, केरल और सिक्किम के राज्यपाल, और महाराष्ट्र में 30 वर्षों तक विधान परिषद सदस्य। वे एक प्रमुख अंबेडकरवादी थे।
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माता: कमला गवई।
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भाई: राजेंद्र गवई – रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) से जुड़े राजनेता।