आयकर अधिकारी अब आपके ईमेल ,whatsapp chat ,Fb ,instagram और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट पढ़ सकते हैं? नए आयकर विधेयक का विश्लेषण और सच्चाई

Zulfam Tomar
20 Min Read

 Income Tax Bill 2025: नया आयकर विधेयक 2025 इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस विधेयक में एक बड़ा बदलाव यह किया गया है कि अब आयकर अधिकारियों को आपके निजी डिजिटल स्पेस जैसे ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट और क्लाउड स्टोरेज तक कानूनी पहुंच प्राप्त होगी। फरवरी 2025 में संसद में पेश किए गए इस विधेयक के अनुसार, अगर कर अधिकारियों को संदेह होता है कि किसी करदाता ने आय या संपत्ति छिपाई है, तो वे उनके डिजिटल स्पेस में घुस कर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। यह नया अधिकार आयकर अधिकारियों की शक्तियों को काफी विस्तार देता है और इसने आम नागरिकों की निजता को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। ईमेल इंस्टा ,फेसबुक, लैपटॉप सब का पासवर्ड टूटेगा मोदी सरकार की ऐसी तैयारी?
क्या मोदी सरकार कानून के जरिए लोगों के डिजिटल स्पेस में घुसपैठ की तैयारी कर रही है ? क्या मोदी सरकार आपके पर्सनल इनफॉरमेशन में सेंधमारी  करने वाली है? क्या अब आपके पर्सनल ईमेल, बैंक अकाउंट ,सोशल मीडिया अकाउंट्स की निगरानी होगी? क्या नए कानून के तहत इनकम टैक्स अधिकारियों को आपके प्राइवेट वर्चुअल स्पेस में ताक़ झांक का अधिकार मिल जाएगा ? इन सभी सवालों के जवाब पर हम बात करेंगे

नया आयकर विधेयक 2025 वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा और इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। यह विधेयक फरवरी 2025 में केंद्रीय बजट 2025 के बाद संसद में पेश किया गया था और 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाला है।अभी यह बिल संसद की सेलेक्ट कमेटी के पास है , मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 के तहत, कर अधिकारियों को केवल भौतिक स्थानों, बैंक लॉकरों या तिजोरियों तक ही पहुंच की अनुमति थी। हालांकि, वर्तमान मौजूदा  कानून के तहत भी अधिकारी लैपटॉप, हार्ड ड्राइव या ईमेल की मांग कर सकते थे, लेकिन इसके लिए उन्हें कई कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ता था।

अब सरकार ने नए विधेयक में “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” की अवधारणा पेश की है और अधिकारियों को संदिग्ध कर चोरी के मामलों में ईमेल, सोशल मीडिया, क्लाउड स्टोरेज और ऑनलाइन वित्तीय खातों तक पहुंचने का अधिकार दिया गया है। यह विस्तारित शक्ति आयकर विधेयक 2025 की धारा 247 में निर्दिष्ट की गई है, जो मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 की धारा 132 के समान है, लेकिन व्यापक दायरे के साथ।

नए विधेयक के अनुसार, आयकर अधिकारियों को अब फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, ईमेल खातों और अन्य डिजिटल स्पेस तक पहुंचने का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा। यह अधिकार उन मामलों में इस्तेमाल किया जा सकता है जहां कर अधिकारियों को संदेह है कि करदाता ने अपनी आय या संपत्ति छिपाई है। इसका मतलब है कि कर जांच के दौरान, अधिकारी आपके सभी ऑनलाइन गतिविधियों की जांच कर सकते हैं, आपके डिजिटल दस्तावेज़ों को खंगाल सकते हैं और आपके सोशल मीडिया पोस्ट भी देख सकते हैं।

इस विस्तारित अधिकार का उद्देश्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से होने वाली कर चोरी से निपटना है। ऐसा सरकार दावा कर रही है। आज के डिजिटल युग में, कई लोग अपनी आय और संपत्ति को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर छिपाने की कोशिश करते हैं, और यह नया प्रावधान ‘कर’ अधिकारियों को इन छिपी हुई आय और संपत्तियों का पता लगाने में मदद करेगा। हालांकि, इस विस्तारित शक्ति ने कर प्रवर्तन और निजता के बीच संतुलन के बारे में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

नए आयकर विधेयक के तहत दी गई विस्तारित शक्तियों का आम नागरिकों की निजता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यह खोज और जब्ती की शक्तियों का विस्तार है और इसने गोपनीयता की चिंताओं को बढ़ा दिया है, क्योंकि अब सरकार न केवल भौतिक संपत्तियों की निगरानी कर सकती है, बल्कि व्यक्तिगत ऑनलाइन गतिविधियों की भी। जब कर अधिकारी आपके ईमेल और सोशल मीडिया खातों तक पहुंच प्राप्त करते हैं, तो वे आपकी  निजी बातचीत , फोटो, वीडियो ,सारी जानकारियां बिना बताए हासिल कर ली जाएगी ना तो कोई आपसे पासवर्ड पूछा जाएगा ना किसी तरह का ओटीपी आएगा ना आपका आपसे  मोबाइल ,लैपटॉप,टैबलेट या कंप्यूटर लिया जाएगा लेकिन आपकी सारी निजी जानकारी यदि करदाता इन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स तक पहुंच प्रदान करने से इनकार करता है, तो आयकर अधिकारी पासवर्ड को बायपास करने, सुरक्षा सेटिंग्स को ओवरराइड करने और फाइलों को अनलॉक करने के लिए अधिकृत होंगे। आपके पासवर्ड को क्रैक करके हासिल कर ली जाएगी यानी अगर इनकम टैक्स अधिकारी चाहेंगे तो आप पर शक के आधार पर अगर उनको शक होता है तो आपकी किसी भी सोशल मीडिया के पासवर्ड को ओवरराइट करके सारी जानकारियां हासिल करने का उन्हें अधिकार होगा और यह अधिकार उन्हें नए इनकम टैक्स कानून से मिलने वाला है और यहां तक कि आपके व्यक्तिगत वित्तीय लेनदेन को भी देख सकते हैं।

इसके अलावा, कंपनियां आपके ईमेल पते का उपयोग करके आपके सोशल मीडिया खातों और अन्य सभी ऑनलाइन गतिविधियों का पता लगा सकती हैं। हालांकि, हर कंपनी ऐसा नहीं कर सकती है, यह एक मूल्यवान सेवा है जिसे खरीदा और बेचा जाता है और आमतौर पर कर्मचारी सत्यापन या पृष्ठभूमि जांच के रूप में ब्रांडेड किया जाता है। इसका मतलब है कि आपकी ऑनलाइन गतिविधियां न केवल सरकारी अधिकारियों के लिए पहुंच योग्य हो सकती हैं, बल्कि अन्य संगठनों के लिए भी जो इस जानकारी को खरीदने के लिए भुगतान करते हैं।

आयकर विभाग द्वारा डिजिटल स्पेस की निगरानी का विस्तार करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है। पहले, कर अधिकारी केवल भौतिक दस्तावेजों और बैंक खातों की जांच कर सकते थे, लेकिन अब वे आपके डिजिटल जीवन के हर पहलू को की आप कहा गये ,किससे मिले ,किससे क्या बात हुई ,किससे कितना पैसा लिया या दिया वो सब  खंगाल सकते हैं। मतलब अब कुछ भी छिपा नही सकते ,यह नई शक्ति ‘कर’ चोरी को पकड़ने के लिए आवश्यक हो सकती है, लेकिन यह नागरिकों के निजता के अधिकार को भी चुनौती देती है। आपको पता होना चाहिए कि सविंधान का आर्टिकल 21 हर भारतीय नागरिक को अपनी प्राइवेसी का अधिकार देता है

नागरिकों के लिए इसका मतलब है कि उन्हें अपने ऑनलाइन व्यवहार और डिजिटल फुटप्रिंट के बारे में अधिक सतर्क रहना होगा। कई लोग अपने वित्तीय मामलों और निवेशों के बारे में ऑनलाइन चर्चा करते हैं, और अब यह जानकारी कर अधिकारियों के लिए उपलब्ध हो सकती है।

ध्यान से पढ़िए और समझिए यह काम कोई स्कैमर, ठग, कोई गिरोह या कोई माफिया नहीं करेगा बल्कि खुद मोदी सरकार करने जा रही है डिजिटल दुनिया में निगरानी का सरकार मन  बन चुकी है, शक के आधार पर, आयकर चोरी के शख के आधार पर आपकी पर्सनल जानकारी में सेंध लगाने की तैयारी हो चुकी है ,इतना ही नहीं अगर आप अपनी निजी जानकारी का डाटा किसी रिमोट या क्लाउड सर्वर पर या किसी डिजिटल ऐप या वेबसाइट प्लेटफार्म पर रखते हैं तो भी आप बच नहीं पाएंगे ,सरकार उसे सर्वर में घुसकर पता लगाएगी , सरकारी अधिकारी आपके पासवर्ड को ओवररूल  करके एक्सेस करके पता लगाएंगे ,आपने कहां और कैसे निवेश किया क्या निवेश किया कितना निवेश किया आप किससे  क्या बात करते हैं , किससे आपका  क्या कम्युनिकेशन है ,और यह सब करने के लिए मोदी सरकार को आप पर केवल शक करने की जरूरत है आपके खिलाफ सबूत कि नहीं! शक होने की जरूरत है, कि आपने आयकर चोरी की है और इसके लिए अधिकारियों को अधिकृत किया जाएगा नए कानून के तहत कौन-कौन से अधिकारी यह कर सकते हैं और कैसे कर सकते हैं इसकी कानून में व्याख्या है अगर अधिकारियों को आप पर जरा सा भी शक हुआ तो वह आपकी सारी जानकारी देख पाएंगे इस बिल का नाम है न्यू इनकम टैक्स बिल

नया आयकर विधेयक 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। इसका मतलब है कि करदाताओं के पास अपने डिजिटल व्यवहार को समायोजित करने और अपने वित्तीय मामलों को व्यवस्थित करने के लिए थोड़ा समय है। इस बीच, सरकार और कर विभाग संभवतः इन नई शक्तियों के कार्यान्वयन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं विकसित करेंगे।

सरकार दावा कर रही है कि यह विधेयक आधुनिक कर प्रणाली की आवश्यकताओं के अनुरूप कर कानूनों को अपडेट करने की एक व्यापक पहल का हिस्सा है। इसका उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना और कर चोरी को रोकना है।

नए विधेयक में “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” की अवधारणा पेश की गई है, लेकिन इसकी सटीक परिभाषा और दायरा अभी भी स्पष्ट नहीं है। यह आधुनिक डिजिटल दुनिया में कर प्रवर्तन की चुनौतियों को संबोधित करने का एक प्रयास है, लेकिन इसके व्यापक अर्थ हो सकते हैं। इस बदलाव का प्रस्ताव वित्त विधेयक, 2025 में किया गया है। वर्चुअल डिजिटल स्पेस: अधिनियम आयकर अधिकारियों को इमारतों में प्रवेश करने, तलाशी लेने और ताले तोड़ने की अनुमति देता है। ऐसा तब किया जा सकता है जब कोई व्यक्ति जिसके लिए अधिनियम के तहत समन जारी किया गया है, कुछ दस्तावेज़ या खाता बही प्रस्तुत नहीं करता है।

  • अघोषित आय: अधिनियम के तहत, तलाशी मामलों के मूल्यांकन के लिए अघोषित आय में धन, बुलियन, आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुएँ शामिल हैं। विधेयक इस परिभाषा का विस्तार करते हुए आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों को भी शामिल करता है। इनमें क्रिप्टोग्राफ़िक रूप से जनरेट किया गया कोई भी कोड, संख्या या टोकन शामिल है और एक्सचेंज किए गए मूल्य का डिजिटल प्रतिनिधित्व प्रदान करता है। इस बदलाव का प्रस्ताव वित्त विधेयक, 2025 में भी किया गया है।

वर्चुअल डिजिटल स्पेस में ईमेल, सोशल मीडिया खाते, क्लाउड स्टोरेज, ऑनलाइन बैंकिंग और वित्तीय प्लेटफॉर्म शामिल हैं। इसका मतलब है कि कर अधिकारी आपके गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर संग्रहीत डेटा तक पहुंच सकते हैं। यह काफी व्यापक है और नागरिकों के डिजिटल जीवन के लगभग हर पहलू को कवर करता है।

जिस पर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं कि मोदी सरकार कानून बनाकर लोगों की प्राइवेसी में दखल देने की तैयारी क्यों कर रही है

कोई इसे जासूसी का नया तरीका बता रहा है , कोई इसे सरकार की लोगो की प्राइवेसी में जबरन घुसपैठ का मामला भी बता रहा है

पूरे मामले को समझने से पहले आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल पेश किया था इससे पहले इस बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी लोकसभा में पेश होने से पहले इस बिल को सरकार की तरफ से टैक्स सुधार में बड़ा कदम कहा जा रहा है

दावे किए जा रहे हैं की इनकम टैक्स में जो चोरी होती है ,चोरी करने वाले बहुत सारे लोग सूचना नहीं देते हैं, फर्जीवाड़ा करते हैं ,गलत बिलिंग करते हैं और जो इनकम टैक्स प्रावधान के तहत जितना टैक्स भरना चाहिए उतना नहीं भरते इसलिए सरकार ने यह क्रांतिकारी कदम उठाया है व्यवस्थित कदम उठाया है ऐसे टैक्स चोरों को पकड़ने के लिए

लेकिन सवाल गेहूं की तरह घुन पीसने का है , अगर सरकार टैक्स चोरों को अपनी गिरफ्त में लाना चाहती है तो क्या कानून के तहत ऐसी व्यवस्था करेगी कि किसी पर भी केवल शक के आधार पर उसकी सारी प्राइवेसी को एक्सेस करें, कि वह कहां गया ,किससे मिला ,किससे बात की,  इसमें बहुत सारी ऐसी प्राइवेट जानकारियां भी होती है जो हर आदमी की अपनी निजता है उसकी प्राइवेसी है और उसे प्राइवेसी का अधिकार है यह अधिकार नागरिकों को आर्टिकल 21 में मिला अधिकार है यह अधिकार भारत के सभी नागरिकों को मिला हुआ है

इस अधिकार के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री की जानकारी को पता लगाने के लिए बहुत सारे पॉलीटिकल एक्टिविस्ट, आर टीआई एक्टिविस्ट, पत्रकार, नेता ,कई बार कोर्ट में जा चुके हैं
लेकिन डिग्री ना दिखाई जाए इसके लिए DU (दिल्ली यूनिवर्सिटी ) की तरफ से आर टीआई एक्ट के सेक्शन 8(1)(e) की दलीले दी जा रही है मतलब प्रधानमंत्री की डिग्री डीयू की डिग्री, जिस  साल उन्होंने BA  किया उसी साल और भी बहुत सारे छात्रों ने किया होगा उसके बाद भी इसे छुपाने के लिए सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है ,

लेकिन अब वही सरकार चाहती है कि केवल शक के आधार पर जनता की सारी प्राइवेट जानकारी एक्सेस करने का अधिकार सरकारी अधिकारियों को मिल जाए ,बहुत सारे लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं

मैं कहूंगा टैक्स चोरों को पकड़ने के प्रावधान होने चाहिए, टैक्स चोरी रोकने के प्रावधान होने चाहिए, सख्त से सख्त होने चाहिए ,,क्योंकि इस देश में इनकम टैक्स चोरों की तादाद बहुत ज्यादा है , हम सब जानते हैं कि करोड़ों नहीं, अरबो नहीं, खरबों का धंधा कारोबार टैक्स चोरी के साथ होता है और टैक्स चोरी करने वाले लोग बड़े-बड़े महलों में बड़ी-बड़ी कोठियों  में रहते हैं हम सब ये भी जानते है कि सरकार और सत्ता के सिस्टम में उनकी इतनी पहचान होती है कि उनका कुछ नहीं बिगड़ता

आरोप तो यह भी लगते हैं टैक्स चोरी से बचने के लिए बहुत सारे लोग बड़े-बड़े उद्योगपति , बिजनेसमैन पार्टियों को चंदा देते हैं
और बच जाते हैं

तो सवाल यही है कि जब सरकार यह अधिकार हासिल करती है कानून बनाकर की जनता की सारी प्राइवेट जानकारी वो देख सके, यह प्राइवेसी का मामला है लोगों को इस पर ऐतराज है

अभी यह बिल सेलेक्ट कमेटी के पास है लेकिन आगे आने वाले समय में लागू हो जाएगा लोगों को इस नई व्यवस्था का सामना करना पड़ सकता है इसलिए बहुत सारे लोग जो प्राइवेसी को बनाए रखने के पक्ष वाले लोग हैं वह इन्हें बहुत आशंकाओं से देख रहे हैं, सरकार की मनसा को लेकर जिन्हें शक सुभा  है उन्हें इस पर ऐतराज है वह खुलकर इस पर बात कर रहे हैं कि सरकार की इस कानून लाने के पीछे आखिर मनसा क्या है?

अब सवाल यह भी है कि भ्रष्टाचार में डूबे सरकारी अधिकारी को अगर यह सारे अधिकार मिल जाए जिसका इस कानून में जिक्र है तो क्या गारंटी है कि अधिकारी किसी को परेशान करने के लिए ,ब्लैकमेल करने के लिए, मोटी रकम उगाही के लिए या फिर अपने अधिकार का इस्तेमाल करके किसी और तरह से तंग करने के लिए इस कानून का इस्तेमाल नहीं करेंगे

सवाल यह भी है कि केवल शक के आधार पर किसी अधिकारी को आपकी प्राइवेसी आपकी ईमेल, व्हाट्सएप चैट या कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट्स में घुसकर आपकी जानकारी देखने की परमिशन कैसे दी जा सकती है, क्या आप ऐसा चाहेंगे कि आपकी प्राइवेट चैट को कोई इंसान पढ़ें बिना आपकी मर्जी के

और वह भी जब इससे पहले ही मोदी सरकार पर ईडी ,सीबीआई और पुलिस के मनमाने प्रयोग करने के आरोप लगाते रहे हैं और तमाम सबूत सामने आए पिछले 10 सालों में की कैसे केंद्र सरकार के इशारों पर विपक्ष के नेताओं को बदनाम करने के लिए ,परेशान करने के लिए, तंग करने के लिए या उन्हें डराने के लिए या उन्हें डरा कर भाजपा के पाले  में लाने के लिए एजेंसी का इस्तेमाल हो रहा है ,सुप्रीम कोर्ट में सरकार को कई बार फटकार भी लगी है,

तो एक बार फिर एक एजेंसी सरकार की इनकम टैक्स एजेंसी जो पहले से तमाम तरह के आरोपो  के दायरे में है उसको नए कानून के तहत एक बड़ा अधिकार मिलेगा डिजिटल स्पेस में घुसपैठ का अधिकार ,

दरअसल सरकार ने अपने बजट में 12 लाख की आय पर 0% टैक्स लगाने की घोषणा की थी मीडिया में उसका जोरों से प्रचार हुआ ,हैडलाइन बनी उसी में अब 62 साल पुराने इनकम टैक्स कानून में सुधार किया गया है इस कानून में 23 चैप्टर 622 पेज शामिल है, मोदी सरकार इसे  ऐतिहासिक कानून बता रही है वहीं कांग्रेस पार्टी इसे बेहद खतरनाक बता रही है income tax bill 2025 kya he ,privacy concern kya he income tax login income tax e filing incometax.gov in income tax department income tax portal income tax aadhaar pan link income tax pan card download gst gst login pan card download income tax calculator income tax department इनकम टैक्स डिपार्टमेंट income tax e filing income tax portal income tax slab income tax calculator ay 2025-26 income tax act income tax return income tax bill 2025 income tax bill income tax bill 2025 income tax bare act income tax brackets income tax bill 2025 pdf income tax books pdf इनकम टैक्स बिल income tax bill 2024 income tax book pdf free download income tax bill 2025 changes income tax bill 2025 summary income tax bill 2025 taxmann new income tax bill 2025 in hindi pdf income tax slab for ay 2025-26 new income tax slab इनकम टैक्स स्लैब 2025 26 इनकम टैक्स रूल्स इन हिंदी pdf इनकम टैक्स फॉर्म pdf इनकम टैक्स में छूट के नियम pdf income tax slab 2023-24 in hindi income tax bill 2025 news,a b t news
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 यह महत्वपूर्ण है कि इन तरीकों से नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने की पूरी संभावना है। new tax bill 2025 को यहाँ से download करे और पूरा पढ़े  अब आप इस कानून के बारे में क्या सोचते हैं अपनी राय कमेंट बॉक्स में बताएं।

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