पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा को भ्रष्टाचार के आरोप में सजा, मोदी सरकार के खिलाफ लगाए थे आरोप , पर्दे के पीछे की सच्चाई

Zulfam Tomar
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प्रदीप शर्मा: वही IAS अधिकारी जिन्होंने नरेंद्र मोदी और महिला आर्किटेक्ट की नजदीकियों का किया था खुलासा गुजरात के पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा, जिन्हें हाल ही में 2004 के एक भ्रष्टाचार मामले में 5 साल की सजा और 75,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई, सिर्फ एक भ्रष्टाचार के मामले तक सीमित नहीं हैं। ये  वही अधिकारी हैं जिन्होंने नरेंद्र मोदी और एक महिला आर्किटेक्ट के कथित रिश्तों को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया था। उन्होंने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी।

यह मामला 2004 में कच्छ जिले में हुए एक विवादित भूमि आवंटन से जुड़ा हुआ है। इस मामले ने कुछ और महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं, जो आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं दिखते।

क्या था 2004 का भूमि आवंटन विवाद?

2004 में, जब प्रदीप शर्मा कच्छ के कलेक्टर थे, उन पर आरोप लगा कि उन्होंने वेलस्पन ग्रुप को सरकारी जमीन बाजार दर से 25% सस्ती कीमत पर आवंटित की थी। इसके बदले वेलस्पन ग्रुप ने प्रदीप शर्मा की पत्नी को अपनी सहायक कंपनी में 30% की साझेदारी दी, जिससे उन्हें निजी लाभ मिला। इस कदम से सरकारी खजाने को 1.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

लेकिन यह सब सामने आया है, और ये वही बातें हैं जो आमतौर पर समाचारों में दिखती हैं। लेकिन असल में, यह सिर्फ एक सतही खबर नहीं है।

क्या था मामला?

ias अधिकारी प्रदीप शर्मा ने आरोप लगाया था कि 2010 से 2012 के बीच उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामलों के पीछे नरेंद्र मोदी का हाथ था। उनका दावा है कि उन्होंने 2004 में एक महिला आर्किटेक्ट को नरेंद्र मोदी से मिलवाया था, जिसके बाद दोनों के बीच कथित नजदीकियां बढ़ीं। प्रदीप शर्मा ने आरोप लगाया कि मोदी ने इस महिला की जासूसी करवाई, क्योंकि उन्हें शक था कि प्रदीप शर्मा के पास इस महिला और मोदी के कथित रिश्तों का एक वीडियो है।

जासूसी विवाद का खुलासा

2013 में दो न्यूज पोर्टल्स ने एक सीडी जारी की थी, जिसमें कथित तौर पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री रहे अमित शाह और दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच बातचीत का उल्लेख था। इसमें एक “साहेब” का जिक्र किया गया, जो कथित तौर पर नरेंद्र मोदी थे। प्रदीप शर्मा का दावा है कि इस महिला की जासूसी नरेंद्र मोदी के कहने पर की गई थी। हालांकि, अमित शाह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।

सीडी और मोदी पर आरोप

प्रदीप शर्मा का यह भी कहना है कि मोदी को शक था कि उनके पास एक सीडी है जिसमें यह महिला आपत्तिजनक अवस्था में दिखती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस महिला और मोदी के बीच ईमेल और एसएमएस के जरिए संवाद होता था। मोदी ने कथित तौर पर इस महिला को एक अलग ईमेल अकाउंट बनाने के लिए भी कहा था।

भ्रष्टाचार मामले में सजा और भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा ने प्रदीप शर्मा के आरोपों को झूठा करार दिया है। शर्मा पर कच्छ जिले में जमीन आवंटन में अनियमितताओं को लेकर 5 एफआईआर दर्ज हैं। 2010 में उनकी गिरफ्तारी हुई थी और तब से वे निलंबित हैं। हालांकि, शर्मा का कहना है कि उन्हें राजनीतिक बदले के कारण फंसाया गया है।

भाई ने भी किए थे मोदी के खिलाफ खुलासे

प्रदीप शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि उनके छोटे भाई, IPS अधिकारी कुलदीप शर्मा ने गोधरा दंगों के बाद मोदी की कई कारगुजारियों का पर्दाफाश किया था, जिसकी वजह से उन्हें और उनके परिवार को निशाना बनाया गया।

कौन हैं IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा?गुजरात के कच्छ जिले में भूमि आवंटन विवाद में शामिल निलंबित IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा

प्रदीप शर्मा एक निलंबित IAS अधिकारी हैं, जिन्होंने 1981 में गुजरात प्रशासनिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डिप्टी कलेक्टर के रूप में अपनी प्रशासनिक यात्रा शुरू की। 1999 में उन्हें IAS की पदोन्नति मिली। अपने करियर के दौरान, उन्होंने जामनगर और भावनगर नगर निगमों के आयुक्त और राजकोट तथा कच्छ जिलों के कलेक्टर के रूप में सेवाएं दीं।

प्रदीप शर्मा 2003 से 2006 तक कच्छ जिले के कलेक्टर रहे। इस दौरान उन पर जमीन आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगा। 2004-05 के बीच हुए इन मामलों में गुजरात सरकार ने जांच शुरू की, जिसके चलते 2010 में पहली बार उन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में निलंबित कर दिया गया। उनके खिलाफ अब तक भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कई मामले दर्ज हुए हैं।

भ्रष्टाचार और कानूनी विवाद

शर्मा पर 2004 में एक कॉर्पोरेट समूह को बाजार मूल्य से कम पर जमीन आवंटित करने और 1.2 करोड़ रुपये का सरकारी नुकसान पहुंचाने का आरोप है। इसके बदले उन्हें 29 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप भी लगा। 2014 में गुजरात एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने उन्हें गिरफ्तार किया था। शर्मा पर कुल 4 साल 7 महीने तक जेल में रहने का रिकॉर्ड है।

मोदी और जासूसी विवाद

प्रदीप शर्मा के रिश्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पहले अच्छे थे, जब वे भुज भूकंप के बाद कच्छ के कलेक्टर थे। लेकिन 2013 में कथित जासूसी मामले ने उनके संबंधों को पूरी तरह बदल दिया। शर्मा का दावा है कि उन्होंने 2004 में एक महिला आर्किटेक्ट को नरेंद्र मोदी से मिलवाया था और बाद में मोदी और इस महिला के रिश्ते को लेकर उन पर जासूसी कराने के आरोप लगे। शर्मा का यह भी दावा है कि उन्हें झूठे मामलों में इसलिए फंसाया गया, क्योंकि उनके पास मोदी और महिला से जुड़े कुछ संवेदनशील साक्ष्य मौजूद थे।

व्यक्तिगत जीवन और संघर्ष

अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप शर्मा के भाई कुलदीप शर्मा एक आईपीएस अधिकारी थे, जो बाद में राजनीति में शामिल होकर कांग्रेस से जुड़े। प्रदीप शर्मा का कहना है कि उन्हें राजनीतिक और व्यक्तिगत प्रतिशोध का शिकार बनाया गया।IAS प्रदीप शर्मा और IPS कुलदीप शर्मा, दोनों भाई, विवादों और राजनीति में जुड़े हुए

2010 में भ्रष्टाचार के मामले में पहली गिरफ्तारी के बाद से शर्मा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का सिलसिला जारी है। उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ हो रही कार्रवाई को चुनौती दी। शर्मा को अपने बेटे की शादी ऑनलाइन भी देखने का मौका नहीं मिला, क्योंकि उन्हें एक अन्य मामले में जेल में बंद कर दिया गया था।

कार्यकाल और उपलब्धियां

  • 1981: डिप्टी कलेक्टर बने।
  • 1999: IAS अधिकारी के रूप में पदोन्नति।
  • 2003-2006: कच्छ के कलेक्टर।
  • 2010: पहली बार गिरफ्तार और निलंबित।

शर्मा ने जामनगर और भावनगर नगर निगमों के आयुक्त के तौर पर भी काम किया। उनके खिलाफ अब तक कई एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, अनियमितता और जासूसी से जुड़े आरोप शामिल हैं। यह भी पढ़े : सैफ अली खान पर हमला आरोपी की गिरफ्तारी और कईं अनसुलझे सवाल शिव सेना बोली ये बीजेपी का खेल

पर्दे के पीछे की कहानी

यह तो वो खबरें हैं जो सबके सामने आती हैं, पर पर्दे के पीछे बहुत कुछ ऐसा है जो शायद हम नहीं जानते। यह मामला न केवल एक अधिकारी के भ्रष्टाचार से जुड़ा है, बल्कि यह सरकार के भीतर के तंत्र और सिस्टम की असलियत को भी उजागर करता है। यह सवाल उठाता है कि क्या यह सिर्फ प्रदीप शर्मा का व्यक्तिगत फैसला था या इस व्यवस्था के भीतर कई और ताकतें शामिल थीं, जो उन्हें ऐसा करने की प्रेरणा दे रही थीं।

क्या कहते हैं आप?

ये घटनाएँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि भ्रष्टाचार का केवल एक व्यक्तिगत पहलू ही नहीं होता। हर बड़ा मामला, चाहे वह किसी सरकारी अधिकारी का हो या किसी बड़े उद्योगपति का, कहीं न कहीं सिस्टम की खामियों और इसके भीतर छिपी हुई सच्चाइयों से जुड़ा होता है।

क्या प्रदीप शर्मा के दावे सच्चाई के करीब हैं या यह सिर्फ एक राजनीतिक विवाद है? क्या जासूसी विवाद की गहराई से जांच होनी चाहिए?

क्या आपको लगता है कि प्रदीप शर्मा के मामले में सिर्फ उन्हीं को दोषी ठहराना ठीक है, या फिर इस पूरे मामले के पीछे एक और बड़ी तस्वीर भी हो सकती है? क्या यह सिर्फ एक व्यक्ति की गलती थी, या सिस्टम ने भी इसकी सहमति दी थी?

आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें कमेंट करके बताएं कि आप क्या सोचते हैं।

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