नौकरी या शाही का सपना?
IAS Abhishek Prakash: जब कोई युवा IAS या सरकारी नौकरी का सपना देखता है, तो हम सोचते हैं और वो ख़ुद भी बोलता है कि वह देश की सेवा करना चाहता है लेकिन जब वही अधिकारी अपने पद की ताकत को भ्रष्टाचार का हथियार बना लेता है, तो सवाल उठता है – क्या लोग सरकारी नौकरी इसलिए चाहते हैं ताकि वे “नौकरशाही” को सचमुच “नौकरी के जरिए शाही” बना सकें? आये दिन कोई न कोई भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारी की ख़बर सामने आती है और ये हम अपने आप देख सकते है जब आप कोई सरकारी काम करवाने जाते है तो आप कभी न कभी इस भ्रष्टाचार का सामना करते ही है ,उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश की कहानी इस सवाल का कड़वा जवाब है। 700 बीघा जमीन, लखनऊ में आलीशान बंगले, ब्रह्मोस मिसाइल फैक्ट्री के नाम पर 20 करोड़ का घोटाला, और सोलर प्रोजेक्ट के लिए 5% कमीशन की डिमांड – यह उस नौकरशाह की हकीकत है, जिसने हर पोस्टिंग को संपत्ति का ढेर बनाने का मौका समझा। लेकिन यह सिर्फ अभिषेक की कहानी नहीं, बल्कि उस सिस्टम की गंदगी है, जहाँ नौकरी सेवा का माध्यम नहीं, बल्कि शाही साम्राज्य खड़ा करने का जरिया बन गई है। और सबसे बड़ा सवाल – क्या हमारी सरकारें अब इन अधिकारियों और नेताओं की संपत्ति की निष्पक्ष जाँच करेंगी, या यह सब दिखावा ही रहेगा?
नौकरी का असली मकसद: सेवा या लूट? Who is Abhishek Prakash?
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बिजनेसमैन विश्वजीत दत्ता ने अपनी कंपनी SEAL सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड के लिए सोलर यूनिट लगाने का आवेदन किया।
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अभिषेक ने अपने बिचौलिए निकांत जैन को डील करने भेजा। निकांत ने प्रोजेक्ट की कुल लागत का 5% कमीशन माँगा।
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विश्वजीत ने मना किया, तो 12 मार्च, 2025 की मूल्यांकन समिति की बैठक में फाइल को “पुनर्मूल्यांकन” के लिए रोक दिया गया।
जब पैसा नहीं मिला, तो फाइल रोक दी गई। यह डील उनके करीबी निकांत जैन के जरिए हुई, जिसे STF ने गिरफ्तार किया। बिजनेसमैन विश्वजीत दत्ता ने इसकी शिकायत सीएम योगी से की। सीएम ने मामले की STF से जांच कराई थी। इसके बाद एक्शन लिया। मुख्यमंत्री योगी की सख्ती से अभिषेक सस्पेंड हुए, लेकिन सवाल वही है – क्या वे अकेले हैं? क्या सरकारी नौकरी इसलिए लुभाती है क्योंकि यह पद की ताकत देती है, जिससे अधिकारी अपने साम्राज्य का सपना पूरा कर सकें? यह नौकरशाह मतलब नौकरी को मेहनत और सब्र का रास्ता नहीं मानता था, बल्कि इसे लूट का शॉर्टकट समझता था।
जहाँ पोस्टिंग, वहाँ साम्राज्य: संपत्ति का खेल
घोटालों का शहंशाह: 20 करोड़ की लूट
अभिषेक प्रकाश का भ्रष्टाचार सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक पूरा नेटवर्क था।
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डिफेंस कॉरिडोर: 20 करोड़ की लूट।
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LDA में धाँधली: बिल्डरों को फायदा, अवैध लाइसेंस।
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अलीगढ़, लखीमपुर, हमीरपुर: जमीन घोटाले, खनन माफिया से साठगाँठ।
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इन्वेस्ट यूपी: निवेशकों की फाइलें रोकीं, अयोध्या-वाराणसी प्रोजेक्ट्स लटकाए।
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संपत्ति का ढेर: 700 बीघा जमीन, लखनऊ में बंगले।
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लाइजनिंग सिंडिकेट: निकांत जैन और लकी जाफरी के साथ मिलकर कमीशन का खेल।
नौकरी से शाही तक: कार्यकाल का काला इतिहास
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लखीमपुर खीरी (DM, 2011-2012): टेंडरों में खेल।
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बरेली (DM, 2012-2014): 400 बीघा जमीन घोटाला।
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अलीगढ़ (DM, 2014-2015): जमीन की कालाबाजारी।
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हमीरपुर (DM, 2018-2019): खनन माफिया का साथ।
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लखनऊ (DM, 2019-2022): डिफेंस और LDA घोटाले।
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इन्वेस्ट यूपी (CEO, 2022-2025): निवेशकों से लूट।
हर पद पर उन्होंने नौकरी को शाही बनाने का रास्ता चुना। क्या यह वही नौकरशाही है जिसे हम देश का आधार मानते हैं?कौन-कौन जांच के दायरे मेंनिकांत जैन – IAS अधिकारियों के लिए लाइजनिंग करता था, निवेशकों से डील करता था।
लकी जाफरी – सिंडिकेट का हिस्सा, घोटालों में शामिल।
फार्मा कॉलेज संचालक – ED की जांच में 100 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में नाम।
STF की जांच अभी जारी है, कई और खुलासे हो सकते हैं।
निकंत जैन का आपराधिक इतिहास
नौकरशाही और राजनीति: एक ही गंदगी, अलग-अलग चेहरे
अब, IAS अभिषेक प्रकाश पर भी जमीन आवंटन और प्रोजेक्ट मंजूरी के नाम पर रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं, जिसके चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया है। सवा तीन महीने के भीतर औद्योगिक विकास विभाग के शीर्ष अधिकारियों पर यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है, जिससे विभाग में फैले भ्रष्टाचार की परतें उजागर हो गई हैं।
मुख्य सचिव के करीबी रहे अनिल सागर और अभिषेक प्रकाश
सूत्रों के मुताबिक, अनिल सागर और अभिषेक प्रकाश को सरकार में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह का करीबी माना जाता था। इन दोनों की औद्योगिक विकास विभाग में तैनाती भी मुख्य सचिव की सिफारिश पर हुई थी। बता दें कि मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के अध्यक्ष भी हैं और उनके अधीन ही औद्योगिक विकास विभाग और इन्वेस्ट यूपी कार्यरत हैं।
यहाँ सवाल उठता है -क्या मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह भी इस मामले में शामिल है ? क्या नौकरशाही और राजनीति एक ही सिक्के के दो पहलू बन गए हैं? कुछ अधिकारी और नेता ईमानदारी से काम करते हैं, मगर ज्यादातर पद की ताकत को अपने साम्राज्य के लिए इस्तेमाल करते हैं। नौकरशाही में बेईमान अधिकारी और राजनीति में भ्रष्ट नेता – दोनों देश को खोखला कर रहे हैं। क्या लोग इसलिए नौकरी और सत्ता चाहते हैं ताकि वे शाही जिंदगी जी सकें?