Haryana Manish Death Singapore News: करनाल, हरियाणा का एक 23 साल का नौजवान मनीष, जो अपने परिवार के सपनों को पूरा करने सिंगापुर गया था, अब इस दुनिया में नहीं रहा। सात महीने पहले मनीष को विदेश भेजने के लिए उसके परिवार ने सब कुछ दांव पर लगा दिया था — जमीन बेच दी, कर्ज ले लिया, उम्मीदों की गठरी बांधकर उसे रवाना कर दिया। लेकिन सात महीने बाद घर लौटा मनीष, तो ताबूत में बंद था।
जमीन बेचकर बेटे को विदेश भेजा
मनीष करनाल जिले के कैमला (Kaimla) से गांव का रहने वाला था। उसके पिता भीम सिंह ने बड़ी उम्मीदों से उसे सिंगापुर भेजा था। वर्क परमिट दिलाने और टिकट, वीजा, एजेंट, सब मिलाकर करीब 15 लाख रुपए खर्च हो गए। इसके लिए उन्होंने दो कनाल जमीन बेच दी और बाकी पैसे जान-पहचान वालों से कर्ज पर जुटाए। मनीष सिंगापुर के नारनिया में टेक्नो कंपनी में नौकरी कर रहा था और वहां से हर महीने 30 से 40 हजार रुपये अपने घर भेजता था। अब तक वह करीब सवा लाख रुपये भेज चुका था।

12 अप्रैल की आखिरी कॉल
मनीष की मां सुमन और बहन मोनिका के मुताबिक, 12 अप्रैल की शाम करीब 4 बजे मनीष ने घर फोन किया था। बिल्कुल नॉर्मल बातें हुईं, उसने कहा कि सोमवार को 40 हजार रुपये अकाउंट में भेज देगा, क्योंकि बीच में रविवार पड़ रहा था। घरवाले खुश थे कि बेटा ठीक है, सब कुछ अच्छा चल रहा है।
उसी रात हुआ कुछ ऐसा…
उस रात मनीष ने अपने रूममेट संजू से कहा कि वह घरवालों से बात करने के लिए बाहर जा रहा है। संजू शाहबाद (यमुनानगर) का रहने वाला है और उसी के साथ रूम शेयर करता था। यह बात रात करीब 10 बजे की है। उसके बाद मनीष वापस नहीं लौटा। संजू ने रात 11 बजे उसे कॉल किया, लेकिन कॉल उठी नहीं। जब मनीष पूरी रात कमरे पर नहीं लौटा, तो सुबह उसने परिवार वालों को कॉल कर बताया कि मनीष लापता है। और वह उसकी तलाश कर रहा है। इतना कहकर उसने फोन काट दिया था।
मरीना बे बीच पर मिली लाश
रविवार सुबह करीब 11 बजे परिवार को कॉल आया कि मनीष की डेडबॉडी मरीना बे बीच पर 8:21 बजे मिली है। यह जगह मनीष के कमरे से करीब एक घंटे की दूरी पर है। यही बात मनीष के परिवार वालों को खटक रही है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि जब मनीष कमरे में था, फोन कर रहा था, ऐसे में परिवार ये मानने को तैयार नहीं है कि वो अचानक खुद ही वहां गया होगा या वह इतनी दूर कैसे पहुंच गया?
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और परिवार की शंका
ताबूत के साथ पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी आई, जिसमें लिखा था कि मनीष की मौत डूबने से हुई है। लेकिन परिवार मानने को तैयार नहीं। उन्हें शक है कि कोई साजिश हुई है। वह कहते हैं कि मनीष ने आखिरी बार नॉर्मल बातचीत की थी — मां से, बहन से, गांव के एक दोस्त रिंकू से से भी करीब आधे घंटे बात की थी जो सिंगापुर में ही रहता है।, यहां तक कि अमेरिका में रहने वाले साहिल से भी। सभी से उसने हंसते हुए, बिना किसी परेशानी की बात की।

क्या आत्महत्या कर सकता था मनीष?
परिजन एक सुर में कहते हैं कि मनीष आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकता। वह घर की जिम्मेदारी समझता था, परिवार के लिए ही तो गया था सिंगापुर। अगर वह परेशान होता, तो जरूर बताता। जिस समय आखिरी बार मनीष से बात हुई थी, वह एकदम खुश था और भविष्य की प्लानिंग कर रहा था।
मोबाइल जब्त, पुलिस जांच में जुटी
मनीष का मोबाइल फोन अभी सिंगापुर पुलिस के पास है। उसके कॉल रिकॉर्ड्स, मैसेज, चैट्स और लोकेशन से अब सच्चाई सामने आने की उम्मीद है। पुलिस जांच में जुटी हुई है, लेकिन फिलहाल परिजन सिर्फ इंतजार कर सकते हैं।
लाश लाने के लिए फिर पैसे जुटाए
मनीष के पिता बुजुर्ग हैं, छोटा भाई परीक्षित पढ़ाई करता है, बड़ी बहन घर पर है, मां गृहणी हैं। घर में कमाने वाला बस मनीष ही था। डेडबॉडी लाने का खर्चा 5 लाख रुपए बताया गया। परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वह इतनी बड़ी रकम तुरंत जुटा सके। उन्होंने सोशल मीडिया और वीडियो कॉल्स के जरिये लोगों से मदद की गुहार लगाई। कुछ हजार रुपए आए भी, मगर काफी नहीं थे।
फिर रिश्तेदारों, गांववालों और परिचितों की मदद से पूरा परिवार इकट्ठा हुआ और किसी तरह 5 लाख रुपए का इंतजाम किया। मंगलवार रात 11 बजे सिंगापुर से फ्लाइट दिल्ली के लिए रवाना हुई, जो बुधवार सुबह 3 बजे दिल्ली पहुंची।
गांव में मनीष का अंतिम संस्कार
बुधवार को मनीष की डेडबॉडी कैमला (Kaimla) पैतृक गांव पहुंची। श्मशान घाट में उसका अंतिम संस्कार किया गया। मां, बहन, पिता, भाई और पूरे गांव की आंखें नम थीं। हर कोई यही कह रहा था — मनीष चला गया, लेकिन सवाल छोड़ गया।

विधायक और स्पीकर ने जताया दुख
मंगलवार को जैसे ही यह खबर फैली, हरियाणा विधानसभा स्पीकर हरविंद्र कल्याण मनीष के घर पहुंचे। उन्होंने परिवार को सांत्वना दी और कहा कि सरकार की ओर से जो भी मदद हो सकेगी, वह की जाएगी।