दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: उपभोक्ता अदालतों Consumer Court’s में गैर-वकीलों की एंट्री पर लगायी रोक

Zulfam Tomar
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Consumer Court's

दिल्ली हाईकोर्ट ने उपभोक्ता अदालतों Consumer Court’s में वकीलों की जगह गैर-वकीलों या एजेंटों को पेश होने की अनुमति देने पर सख्त रोक लगा दी है। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि अदालत में कई लोग बिना वकील की पढ़ाई किए ही वकीलों के काम कर रहे थे।

हाईकोर्ट को यह फैसला क्यों लेना पड़ा?

Justice Sanjeev Narula
Justice Sanjeev Narula

यह मामला जस्टिस संजीव नरूला की अदालत में चल रहा था। इसमें कुछ वकीलों ने शिकायत की थी कि कई गैर-वकील (जिनके पास वकालत की डिग्री नहीं है) अदालत में पेश हो रहे हैं। ये लोग वकीलों के नाम पर बने दस्तावेज (प्राधिकरण पत्र) दिखाकर कानूनी मामले लड़ रहे थे। वकीलों का कहना था कि यह तरीका न सिर्फ गलत है, बल्कि अदालत के नियमों और वकीलों के काम की गरिमा को भी ठेस पहुंचा रहा है।

Consumer Court’s कानून क्या कहता है?

2014 के उपभोक्ता संरक्षण कानून (Consumer Protection Rules, 2014) के तहत, उपभोक्ता अदालतों में किसी व्यक्ति को गैर-वकील के जरिए अपनी बात रखने की अनुमति है। लेकिन यह तभी संभव है जब उस व्यक्ति ने उसे आधिकारिक तौर पर अपनी तरफ से बोलने का अधिकार दिया हो।

हालांकि, अदालत ने पाया कि इस नियम का गलत फायदा उठाया जा रहा है। कई गैर-वकील, वकीलों से अधिकार लेकर उनके काम खुद कर रहे थे, जैसे – दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना, अदालत में दलील देना (बहस करना), और आदेशों का पालन करना।

अदालत ने क्या कहा?

जस्टिस संजीव नरूला ने पाया कि वकील अपनी जिम्मेदारी गैर-वकीलों को दे रहे थे। उन्होंने कहा, “यह प्रक्रिया वकीलों के काम के नियमों और कानून के खिलाफ है।”

अदालत ने यह भी कहा:

  1. गैर-वकीलों पर रोक: अब गैर-वकील किसी भी वकील की तरफ से अदालत में पेश नहीं हो सकेंगे।
  2. जांच के आदेश: अदालत ने राज्य और जिला उपभोक्ता आयोगों को कहा कि वे उन सभी मामलों की लिस्ट बनाएं, जहां गैर-वकील या एजेंट किसी व्यक्ति की तरफ से अदालत में पेश हो रहे हैं।
  3. जवाब मांगा: बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से इस मुद्दे पर अपनी राय देने को कहा गया है।

चिंता की बड़ी वजह क्या है?

अदालत ने साफ कहा कि वकील का काम न केवल कानून से जुड़ा होता है, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी का भी होता है। वकील को अपने मुवक्किल (क्लाइंट) की जानकारी को गोपनीय रखना होता है और सही सलाह देनी होती है।

लेकिन गैर-वकील इन नियमों से बंधे नहीं होते। इस वजह से मुवक्किल को नुकसान हो सकता है। अदालत ने इसे वकीलों के पेशे और उनके काम की इज्जत के लिए खतरा बताया।

अगली सुनवाई कब होगी?

इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च, 2025 को होगी।

यह फैसला अदालतों में कानून और नियमों का सही तरीके से पालन कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है। साथ ही, यह वकीलों के काम और उनकी इज्जत को बचाने की कोशिश भी है।

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