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कब हुई: 13, 14 और 15 सितंबर 2021 को।
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कहाँ हुई: राजस्थान के 11 जिलों में 802 परीक्षा केंद्रों पर।
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कितने उम्मीदवार: कुल 7,97,030 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, जिनमें से लगभग 3,80,000 परीक्षा में शामिल हुए।
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उद्देश्य: 857 सब-इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर पदों पर भर्ती।
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पेपर लीक:
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परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र लीक हो गए थे।
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मुख्य मास्टरमाइंड जगदीश विश्नोई नाम का शख्स था, जो पिछले 19 सालों से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने में शामिल रहा।
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SOG के अनुसार, विश्नोई ने अपने गैंग के साथ मिलकर पेपर को कई उम्मीदवारों तक पहुँचाया। इसमें यूनिक भाम्बू (पंकज चौधरी), हर्षवर्धन सिंह मीणा जैसे लोग शामिल थे।
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कुछ परीक्षा केंद्रों के अधीक्षकों को भी रिश्वत दी गई, जैसे राजेश खंडेलवाल को 10 लाख रुपये दिए गए।
आरोप है कि प्रश्न पत्र के लिए 20-20 लाख रुपए दिए Read also: राजस्थान में SI भर्ती 2021 फर्जीवाड़ा
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डमी उम्मीदवार:
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कई मूल अभ्यर्थियों की जगह डमी उम्मीदवारों ने परीक्षा दी।
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जांच में पता चला कि कुछ चयनित SI असल में परीक्षा में बैठे ही नहीं थे। डमी टेस्ट में ये लोग मूल प्रश्नपत्र हल नहीं कर पाए।
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उदाहरण के लिए, एक महिला उम्मीदवार की जगह पुरुष ने परीक्षा दी और वह चयनित होकर प्रशिक्षण ले रही थी।
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RPSC की भूमिका:
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RPSC के पूर्व सदस्य रामूराम रायका पर अपनी बेटी शोभा और बेटे देवेश को पेपर लीक करने का आरोप लगा।
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एक अन्य अधिकारी बीएल कटारा भी इस साजिश में शामिल था।
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इन आरोपों ने RPSC की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।
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टॉपर भी संदिग्ध:
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परीक्षा का टॉपर नरेश खिलेरी भी जांच के दायरे में आया। SOG ने उसे हिरासत में लिया और पूछताछ की।
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गिरफ्तारियाँ:
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SOG ने 40 से ज्यादा लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की, जिसमें 17 चयनित ट्रेनी SI शामिल थे।
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मार्च 2024 में 14 ट्रेनी SI और 16 अन्य अभियुक्त गिरफ्तार हुए।
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अगस्त 2024 में 5 और ट्रेनी SI (3 पुरुष, 2 महिलाएँ) हिरासत में लिए गए।
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कुल मिलाकर SOG ने अब तक करीब 50 ट्रेनी SI को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 25 को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
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डमी टेस्ट:
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SOG ने चयनित SI का डमी टेस्ट करवाया, जिसमें मूल परीक्षा के सवाल दोबारा हल करने को कहा गया।
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17 ट्रेनी SI इसमें फेल हुए, जिससे धांधली की पुष्टि हुई।
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चार्जशीट:
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SOG ने आरोपियों के खिलाफ 2369 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की,
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हाईकोर्ट का हस्तक्षेप:
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जनवरी 2025 में राजस्थान हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
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9 जनवरी, 2025 को तय हुई सुनवाई में राजस्थान हाईकोर्ट ने सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती 2021 मामले में राज्य सरकार को बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार को 2 महीने का समय दिया है ताकि वह इस भर्ती से जुड़ा कोई भी अंतिम फैसला ले सके। हालांकि, इस दौरान चयनित ट्रेनी SI की फील्ड पोस्टिंग पर रोक जारी रहेगी। कोर्ट ने सरकार को स्वतंत्रता दी है कि वह अपनी मर्जी से कोई भी निर्णय ले सकती है, लेकिन निर्णय के बाद उसे अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करनी होगी। इस मामले की अगली सुनवाई अब 2 मई, 2025 को होगी।
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याचिकाकर्ता: ये लोग भर्ती को पूरी तरह रद्द करने की माँग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG), पुलिस मुख्यालय, अटॉर्नी जनरल (AG), और कैबिनेट सब-कमेटी पहले ही भर्ती रद्द करने की सिफारिश कर चुके हैं। पेपर लीक और धांधली के सबूतों के आधार पर वे इसे अन्यायपूर्ण मानते हैं।
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ट्रेनी SI: दूसरी ओर, प्रशिक्षण ले रहे सब-इंस्पेक्टरों का कहना है कि वे बेकसूर हैं। उनका दावा है कि “पेपर लीक में हमारी कोई संलिप्तता नहीं है। हमने इस नौकरी के लिए दूसरी सरकारी नौकरियाँ छोड़ी हैं। अगर भर्ती रद्द हुई तो हमारे साथ अन्याय होगा।”
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सरकार: राज्य सरकार अभी तक फैसले को टालती रही है, लेकिन अब हाईकोर्ट के दबाव में उसे निर्णय लेना होगा।
मंत्री की संलिप्तता:
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कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने दावा किया कि एक पूर्व मंत्री इस घोटाले में शामिल था, हालाँकि नाम स्पष्ट नहीं किया गया।
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जांच जारी: SOG और कोर्ट की निगरानी में जांच चल रही है। SOG ने भर्ती रद्द करने की सिफारिश की है।
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प्रदर्शन: युवा इस भर्ती को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, ट्रेनी SI के परिजन इसका विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि सभी दोषी नहीं हैं।
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नॉर्मलाइजेशन विवाद: कुछ लोगों का दावा है कि नॉर्मलाइजेशन (अंकों को समायोजित करने की प्रक्रिया) भी गैरकानूनी थी, क्योंकि इसका जिक्र न तो विज्ञापन में था और न ही नियमों में।
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संभावना: अगर पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की तरह सुप्रीम कोर्ट का फैसला यहाँ लागू हुआ, तो पूरी भर्ती रद्द हो सकती है।
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पकड़े गए ट्रेनी SI: 50 से अधिक।
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पेपर खरीद की कीमत: 20-22 लाख रुपये प्रति उम्मीदवार।
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चयनित संदिग्धों की संख्या: 250 से ज्यादा होने का अनुमान।
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महिला SI संदिग्ध: 6 शामिल।