झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल: चंपई सोरेन का विद्रोह और नई पार्टी की घोषणा, क्या Jitan Ram Manjhi के नक्शेकदम पर चले Champai Soren!

आपका भारत टाइम्स
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झारखंड की राजनीति में हाल ही में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से बगावत कर नई पार्टी बनाने का ऐलान किया। यह घटनाक्रम काफी हद तक 2015 में बिहार में हुए राजनीतिक बदलाव की याद दिलाता है, जब जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत की थी और नई पार्टी का गठन किया था। 

 बिहार और झारखंड: राजनीतिक समानताएं और भिन्नताएं

बिहार और झारखंड, दोनों ही राज्यों की राजनीति में कई समानताएं देखने को मिलती हैं। बिहार में 2015 में जो हुआ, वही आज झारखंड में दोहराया जा रहा है। बिहार में नीतीश कुमार ने जब जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाया था, तब मांझी ने विद्रोह कर दिया था और अंततः “हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा” (HAM) नामक नई पार्टी का गठन किया था। इसी प्रकार, झारखंड में भी हेमंत सोरेन द्वारा मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद चंपई सोरेन ने JMM से अलग होकर नई पार्टी बनाने का निर्णय लिया है।

चंपई सोरेन का मुख्यमंत्री बनने और हटने की कहानी

चंपई सोरेन का मुख्यमंत्री बनने का सफर भी काफी दिलचस्प और संघर्षपूर्ण रहा है। जनवरी 2024 में जब हेमंत सोरेन पर जमीन घोटाले के आरोप लगे और ईडी द्वारा उनसे पूछताछ की गई, तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि, चंपई सोरेन का यह कार्यकाल केवल 5 महीने ही चला। जुलाई 2024 में हेमंत सोरेन जेल से रिहा हुए और 4 जुलाई को उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर फिर से काबिज हो गए। इस प्रक्रिया में चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा, जिससे वे नाराज हो गए और अंततः JMM से अलग होकर नई पार्टी बनाने का फैसला किया।

राजनीतिक उथल-पुथल और संभावनाएं

झारखंड की राजनीति में चंपई सोरेन के इस कदम ने न केवल राज्य में राजनीतिक हलचल मचा दी है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी एक नई चुनौती पेश की है। चंपई सोरेन का JMM से अलग होना और नई पार्टी बनाना JMM के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। इसके साथ ही, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चंपई सोरेन की नई पार्टी झारखंड की राजनीति में कितनी प्रभावशाली साबित होती है।

चंपई सोरेन का यह कदम उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। हालांकि, उन्हें यह भी समझना होगा कि एक नई पार्टी का गठन और उसकी सफलता में कई चुनौतियाँ हो सकती हैं। बिहार में जीतन राम मांझी की तरह, चंपई सोरेन को भी राज्य की राजनीति में अपनी नई पार्टी के लिए समर्थन जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

 चंपई सोरेन की नई पार्टी: क्या उम्मीदें हैं?

चंपई सोरेन की नई पार्टी को लेकर झारखंड की राजनीति में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। क्या उनकी नई पार्टी झारखंड की राजनीति में एक नई दिशा दे सकेगी? क्या वे झारखंड के मतदाताओं के बीच अपनी जगह बना पाएंगे? यह सवाल अभी अनुत्तरित हैं, लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि चंपई सोरेन ने JMM से अलग होकर राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ लाया है।

झारखंड की जनता और राजनीतिक विश्लेषक चंपई सोरेन की इस नई पार्टी को किस नजरिए से देखेंगे, यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। उनकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य और प्राथमिकताएं क्या होंगी? क्या वे झारखंड के आदिवासी और ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बना पाएंगे? या फिर उनकी नई पार्टी को भी बिहार की तरह राजनीतिक गठबंधन और समझौतों की जरूरत पड़ेगी?

 बिहार का अनुभव: चंपई सोरेन के लिए सबक

Jitan Ram Manjhi
Jitan Ram Manjhi

बिहार में जीतन राम मांझी की राजनीतिक यात्रा और उनकी पार्टी “हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा” का गठन चंपई सोरेन के लिए एक सबक हो सकता है। मांझी ने भी अपने समय में नीतीश कुमार से अलग होकर एक नई पार्टी बनाई थी, लेकिन उन्हें इस प्रक्रिया में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। चंपई सोरेन के लिए भी नई पार्टी के गठन के बाद राजनीतिक समर्थन जुटाना एक बड़ी चुनौती हो सकता है।

हालांकि, चंपई सोरेन के पास झारखंड की राजनीति में अपनी पहचान बनाने का एक बड़ा अवसर भी है। उनकी नई पार्टी अगर सही दिशा में आगे बढ़ी, तो वे राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें जनता के बीच अपनी नई पार्टी की विश्वसनीयता और समर्थन जुटाना होगा, जो कि एक कठिन कार्य हो सकता है।

निष्कर्ष: झारखंड की राजनीति में नया अध्याय

चंपई सोरेन का JMM से विद्रोह और नई पार्टी की घोषणा झारखंड की राजनीति में एक नया अध्याय है। यह घटनाक्रम न केवल राज्य की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित करेगा, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। चंपई सोरेन की नई पार्टी झारखंड के मतदाताओं के बीच कितनी सफल होती है, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना निश्चित है कि उन्होंने राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया है।

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