अडानी ग्रुप के स्विस बैंक खातों में 2600 करोड़ फ्रीज: हिंडनबर्ग का नया दावा

Zulfam Tomar
13 Min Read
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हिंडनबर्ग रिसर्च और अडानी ग्रुप के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर एक और गंभीर आरोप लगाया है। एक नया दावा पेश किया है, जिसके अनुसार अडानी ग्रुप के स्विस बैंक खातों में जमा 310 मिलियन डॉलर (लगभग 2600 करोड़ रुपये) को फ्रीज कर दिया गया है। इस दावे ने एक बार फिर से भारतीय उद्योग जगत में हलचल मचा दी है, क्योंकि अडानी ग्रुप को पहले भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का सामना करना पड़ा है।

क्या है ताजा आरोप?

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप के स्विस बैंक के 6 खातों में 310 मिलियन डॉलर से ज्यादा की राशि को फ्रीज कर दिया गया है। यह कदम स्विट्जरलैंड के अधिकारियों द्वारा उठाया गया है, जो अडानी ग्रुप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) के मामले की जांच कर रहे हैं। अब यह सामने आया है कि अडानी ग्रुप के पैसे भी इस जांच के दायरे में हैं।स्विस आपराधिक अदालत के रिकॉर्ड्स के हवाले से कहा गया है कि स्विट्जरलैंड के अटॉर्नी जनरल (OAG) कार्यालय ने इस जांच को संभाल रखा है। गोथम न्यूज नामक स्विस मीडिया आउटलेट ने भी इस मामले पर विस्तार से रिपोर्ट दी है,  रिपोर्ट के मुताबिक, यह जांच 2021 से चल रही थी, और हिंडनबर्ग के दावे के अनुसार, उनकी खुद की जांच से पहले ही यह कार्रवाई शुरू हो चुकी थी।

स्विस अधिकारियों की इस कार्रवाई के बारे में गोथम न्यूज नामक स्विस मीडिया आउटलेट ने विस्तार से जानकारी दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जिनेवा के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के कार्यालय ने इस जांच की जिम्मेदारी ली हुई है, और इस मामले की सुनवाई फेडरल क्रिमिनल कोर्ट (FCC) में भी हुई है। गोथम न्यूज ने दावा किया है कि यह राशि अडानी के कथित फ्रंटमैन के खातों में जमा थी, और स्विट्जरलैंड के अटॉर्नी जनरल (OAG) के कार्यालय ने इस जांच की जिम्मेदारी संभाल रखी है।

अडानी ग्रुप का पक्ष

हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनके आधिकारिक बयान में कहा गया है कि स्विस अदालत की किसी भी कार्यवाही से उनका कोई लेना-देना नहीं है और उनके किसी भी खाते को फ्रीज नहीं किया गया है। इस मामले में उनकी कंपनी का नाम बेवजह घसीटा जा रहा है। अडानी ग्रुप ने साफ तौर पर कहा है कि स्विस अदालत ने भी उनकी कंपनी का कोई जिक्र नहीं किया है और ना ही उनसे किसी प्रकार का स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने हिंडनबर्ग के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह सिर्फ उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।

हिंडनबर्ग और अडानी के बीच पहले भी टकराव

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यह पहली बार नहीं है जब अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच इस तरह की तनातनी हुई है। इससे पहले भी हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर कई वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे, जिनमें कंपनी के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए गलत जानकारी देने और कर्ज के मामलों में पारदर्शिता की कमी जैसे आरोप शामिल थे। इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी, और कंपनी को कई बार सफाई देनी पड़ी थी।

हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए गलत जानकारी दी और कई कंपनियों के जरिए कर्ज लिया। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का भी खंडन किया था और कहा था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट्स तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और उनका उद्देश्य सिर्फ उनके व्यवसाय की छवि खराब करना है।

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अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया और उनकी विश्वसनीयता

अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया है कि उन्होंने हमेशा पारदर्शिता और नियमों का पालन किया है। उनका कहना है कि किसी भी जांच या अदालत में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। अडानी ग्रुप के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा है कि इस तरह की रिपोर्ट्स उनके व्यवसाय की बढ़ती सफलता और वैश्विक विस्तार को रोकने के प्रयास हैं।

हालांकि, हिंडनबर्ग रिसर्च का कहना है कि उन्होंने अपने दावे के लिए कई तथ्य जुटाए हैं और उनकी रिपोर्ट किसी भी राजनीतिक या व्यावसायिक हितों से प्रेरित नहीं है। उनका कहना है कि अडानी ग्रुप को अपने वित्तीय मामलों में अधिक पारदर्शिता बरतनी चाहिए और निवेशकों को सही जानकारी देनी चाहिए।

मनी लॉन्ड्रिंग क्या है और क्यों फ्रीज होते हैं खाते?

मनी लॉन्ड्रिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अवैध रूप से कमाई गई रकम को छिपाकर उसे वैध दिखाया जाता है। इसमें धनराशि को कई खातों और माध्यमों से गुजारा जाता है ताकि उसके स्रोत को छुपाया जा सके। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए कड़े कानून और प्रक्रियाएं बनाई गई हैं, जिनके तहत किसी भी संदिग्ध खाते को फ्रीज कर दिया जाता है।  

चलिए इसको और थोड़ा आसान भाषा में बताते है ताकि आप समझ पाओ

मनी लॉन्ड्रिंग को आम भाषा में समझें तो यह एक तरीका है जिसमें लोग अवैध तरीके से कमाए गए पैसे को इस तरह घुमा-फिरा कर दिखाते हैं कि वह वैध (कानूनी) लगने लगे। मान लीजिए, किसी ने काला धन कमाया, जैसे रिश्वत या ड्रग्स बेचकर पैसा कमाया। अब वह सीधे बैंक में जमा नहीं कर सकता क्योंकि सरकार और बैंक तुरंत सवाल पूछेंगे कि पैसा कहां से आया। तो, वह व्यक्ति उस पैसे को कई खातों और बिजनेस के जरिए घुमाता है, ताकि ऐसा लगे कि वह पैसा किसी वैध कारोबार से आया है।

उदाहरण:
मान लीजिए, गोपाल एक अवैध कारोबार (जैसे ड्रग्स बेचने) से 10 करोड़ रुपये कमाता है। अब, अगर वह सीधे बैंक में जमा करेगा, तो बैंक पूछेगा, “यह पैसा कहां से आया?” गोपाल ऐसा नहीं कर सकता, इसलिए वह कुछ ऐसा करेगा:

1. वह यह पैसा किसी दोस्त के बिजनेस में “निवेश” के रूप में दिखाएगा।
2. फिर उसका दोस्त वह पैसा किसी और खाते में भेज देगा, और फिर वहां से किसी और बिजनेस में।
3. आखिरकार, राम उस पैसे को “साफ-सुथरे” पैसे की तरह निकाल लेगा, जैसे कि वह किसी कानूनी कारोबार से आया हो।

अब, सरकार और बैंक मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए सख्त नियम बनाते हैं। जब भी उन्हें शक होता है कि कोई पैसा गलत तरीके से कमाया गया है, वे उस खाते को फ्रीज कर देते हैं। इसका मतलब है कि अब उस खाते से पैसे निकालने या इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी जाती है, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती।

स्विस बैंकिंग प्रणाली में फ्रीजिंग:
स्विस बैंक अपनी गोपनीयता के लिए मशहूर हैं। पहले लोग स्विस बैंक में इसलिए पैसा रखते थे क्योंकि वहां गोपनीयता बनी रहती थी, और सरकारें आसानी से पता नहीं कर पाती थीं कि किसने कितना पैसा जमा किया है। लेकिन अब, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी रोकने के लिए स्विट्जरलैंड ने भी सख्त कदम उठाए हैं।

उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति ने स्विस बैंक में पैसा जमा किया है और स्विस अधिकारियों को शक होता है कि वह पैसा गलत तरीके से कमाया गया है, तो वे उस खाते को फ्रीज कर देते हैं। इसका मतलब है कि उस व्यक्ति का पैसा तो बैंक में है, लेकिन वह उसे इस्तेमाल नहीं कर सकता जब तक जांच पूरी न हो जाए।

यह ऐसे ही है जैसे कि आपके पास बैंक में लाखों रुपये हों, लेकिन बैंक आपको कहे कि “आपका पैसा अभी लॉक है, जब तक हम जांच कर रहे हैं, आप इसे निकाल नहीं सकते।”

मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में अक्सर अंतर्राष्ट्रीय जांच की जाती है, क्योंकि इसमें कई देशों के बैंकों और वित्तीय संस्थानों का इस्तेमाल किया जाता है।

हिंडनबर्ग के आरोपों का महत्व

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट्स का उद्देश्य किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति और पारदर्शिता पर सवाल उठाना होता है। उनके द्वारा अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों ने निवेशकों के बीच एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अडानी ग्रुप ने अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में पूरी सच्चाई बताई है?

इस नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ पहले से ही स्विस अधिकारियों द्वारा जांच चल रही थी। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं तो यह अडानी ग्रुप की छवि और उनकी विश्वसनीयता के लिए बड़ा झटका हो सकता है। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं आया है और जांच चल रही है।

स्विस अदालत का क्या है रुख?

स्विस अदालत की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन गोथम न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, फेडरल क्रिमिनल कोर्ट (FCC) ने इस मामले की सुनवाई की थी और अडानी ग्रुप के खातों को फ्रीज करने का फैसला किया था। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि उनका इस जांच से कोई संबंध नहीं है और उनके खातों को फ्रीज नहीं किया गया है।

अब क्या होगा 

इस विवाद ने अडानी ग्रुप की वित्तीय स्थिति और उनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर सवाल खड़ा कर दिया है। अगर स्विस अधिकारियों की जांच में अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई ठोस सबूत मिलते हैं तो इससे उनके व्यवसाय पर बड़ा असर पड़ सकता है।

दूसरी ओर, अगर अडानी ग्रुप इन आरोपों से खुद को निर्दोष साबित कर देता है, तो यह उनकी प्रतिष्ठा के लिए एक बड़ी जीत होगी। फिलहाल, यह देखना होगा कि स्विस अधिकारियों की जांच किस दिशा में जाती है और इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।

निष्कर्ष

अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच यह विवाद भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में एक अहम मुद्दा बना हुआ है। दोनों पक्ष अपने-अपने दावों पर अडिग हैं, और इस मामले की पूरी सच्चाई सामने आने में अभी वक्त लग सकता है।

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